मीना नक़वी
मुश्किलों के इतने आसां हल निकाले जायेंगे
आह लब पर आई तो सर काट डाले जायेंगे
एक कली कि जिसने अब तक हंसना सीखा भी न था
कुछ दरिंदे उस को सहरा में उठा ले जायेंगे
अपनी नादारी की उर्यानी छुपाने के लिए
वो कफ़न मुर्दों का क़ब्रों से चुराले जायेंगे
अहले दानिश जागे तो ये दौर बदलेगा ज़रूर
तीरगी का क़त्ल करने को उजाले जायेंगे
ये भी होगा अजनबी बनकर गुज़र जायेगा वो
ये भी होगा हम भी नज़रों को बचाले जायेंगे
ये उरूजे बेहिसी ‘ मीना ‘ कहाँ ले जायेगा
हादसों पर हादसे हंस हंस के टाले जायेंगे

